Navratri में कौन से दिन कौन सी माता का पूजन होता है | नवरात्रि में किस तिथि पर करें किस देवी का पूजन - Mix Duniya

Navratri में कौन से दिन कौन सी माता का पूजन होता है | नवरात्रि में किस तिथि पर करें किस देवी का पूजन

Navratri में कौन से दिन कौन सी माता का पूजन होता है ? नवरात्रि के नौ दिनों हर रोज देवी के विभिन्न रूपों का पूजन किया जाता है नवरात्रि के पहले दिन से लेकर आखिरी दिन तक माँ देवी का पूजन करके और मनपसंद भोग लगाकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

आपको मालूम होगा दोस्तों मां देवी ने आदिशक्ति का रूप लेकर महिषासुर का वध किया था मां देवी के नौ रूप हैं । और नवरात्रि में 9 दिनों तक मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है।

आज हम आपको मां देवी के नौ रूपों के बारे में बताएंगे और कौन से दिन किस देवी का पूजन किया जाता है यह भी बताएंगे तो चलिए शुरू करते हैं।

Navratri में कौन से दिन कौन सी माता का पूजन होता है

Navratri में मां दुर्गा के 9 स्वरूप:

नवरात्रि में नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूप देखे गए हैं जो कि कुछ इस प्रकार हैं :

  1. माँ शैलपुत्री माता
  2. माँ ब्रह्मचारिणी माता
  3. माँ चंद्रघंटा माता
  4. माँ कुष्मांडा माता
  5. माँ स्कंदमाता
  6. माँ कात्यायनी माता
  7. माँ कालरात्रि माता
  8. माँ महागौरी माता
  9. माँ सिद्धिदात्री माता

मां के नौ रूपों के बारे में जानते हैं :

माँ शैलपुत्री माता :

Navratri के पहले दिन मां दुर्गा की शैलपुत्री के रूप में पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री पर्वत राज हिमालय की पुत्री है। मां शैलपुत्री को पार्वती के रूप में भगवान शंकर की पत्नी भी माना जाता है। मां शैलपुत्री के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है। माता शैलपुत्री का पूजन करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और कई प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं। मदर शैलपुत्री का वाहन वृषभ है और माता शैलपुत्री को घी और घी से बने पदार्थ का भोग लगाना चाहिए। माता शैलपुत्री का रूप चंद्रमा को दर्शाता है।

माँ ब्रह्मचारिणी माता :

नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है। माता ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। माता ब्रह्मचारिणी ने महर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर को अपने जीवन में पति के रूप में पानी के लिए बहुत ही कड़ी  तपस्या की थी हजारों वर्षों की तपस्या करने की वजह से इनका नाम ब्रह्मचारिणी रखा गया। माता ब्रह्मचारिणी मां एवं मस्तिष्क को शांति प्रदान करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाना चाहिए। माता ब्रह्मचारिणी का रूप मंगल ग्रह को नियंत्रित करता है। ब्रह्मचारिणी माता का पूजन मंगल ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है।

माँ चंद्रघंटा माता :

Navratri के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है। माता चंद्रघंटा का रूप शुक्र ग्रह को नियंत्रित करता है माता चंद्रघंटा का पूजन करने से शुक्र ग्रह के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। मां चंद्रघंटा के 10 हाथ हैं और विभिन्न अस्त्र-शस्त्र लिए है ।माता चंद्रघंटा का पूजन करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है। माता चंद्रघंटा के माथे पर घंटे के आकार का विराजमान है।

माँ कुष्मांडा माता :

नवरात्रि के चौथे दिन माता का मांडा का पूजन किया जाता है। माता घास मंडा देवी भगवान सूर्य का पद प्रदर्शन करती हैं माता कुष्मांडा का पूजन सूर्य के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए किया जाता है। माता कुष्मांडा को अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है मदर काश मुंडा अपने भक्तों के रोग दोष हानियां और कष्ट को दूर करती हैं उन्हें सुख और समृद्धि प्राप्त करती हैं। माता काश मुंडा को पेठा का भोग लगाना चाहिए। इनका वाहन सिंह है। मास्टर अष्टभुजा के हाथ में कमंडल कमल धनुष बाण अमृत पूर्ण कलश गाढ़ा तथा चक्र है इनके आठवें हाथ में जप माला है।

माँ स्कंदमाता :

Navratri के पांचवें दिन देवी मां स्कंदमाता का पूजन किया जाता है। माता स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा भी कहा जाता है। देवी स्कंदमाता का पूजन बुध ग्रह से संबंधित सभी देशों और नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है। स्कंदमाता पुष्प कमल पर विराजमान रहती हैं। माँ स्कंदमाता के हाथ में कमल का पुष्प है। माता स्कंद मां की पूजा करने वाले सभी भक्तों को समिति सुख और शांति प्राप्त होती है।

माँ कात्यायनी माता :

नवरात्रि के छठवें दिन मां कात्यायनी माता का पूजन किया जाता है। माता कात्यायनी के पूजन से बृहस्पति ग्रह के सभी दुष्प्रभाव दूर हो जाते हैं। माता कात्यायनी का पूजन करने से धर्म अर्थ मोक्ष और कम इन चार चीजों की प्राप्ति होती है। माता का रंग सोने की तरह एकदम चमकीला है और उनके चार भुजाएं हैं।

माँ कालरात्रि माता :

नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि का अवतार अमावस्या की काली रात में हुआ था। माता कालरात्रि का पूजन शनि ग्रह से जुड़े सभी अशोक प्रभाव को दूर करने के लिए किया जाता है। उनके गले में मंडों की माला है। माता कालरात्रि सभी असुरों का विनाश करते हैं और उनके तीन नेत्र तथा चार हाथ है। माता कालरात्रि का वाहन गधा है। माता ने अपना यह रूप देते चंड मुंड का नाश करने के लिए लिया था तथा तनाव का विनाश करने के लिए लिया था। इनको देवी चामुंडा भी कहते हैं।

माँ महागौरी माता :

माता महागौरी का पूजन नवरात्रि के आठवें दिन किया जाता है। माता महागौरी का पूजन करने से राहु ग्रह से संबंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं। माता को तुलसी का भोग लगाना चाहिए। माता राजा हिमावत की पुत्री का रूप ही मां महागौरी है। माता ने शिव जी को अपने के रूप में पानी के लिए बहुत कठोर तपस्या करी थी। माता महागौरी के वस्त्र बिल्कुल सफेद हैं और आभूषण भी सफेद हैं माता महागौरी का वाहन बैल है।

माँ सिद्धिदात्री माता :

Navratri के आखिरी वह नवीन दिन में माता सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। मां सिद्धिदात्री केतु ग्रह से जुड़े सभी बुरे प्रभाव ऑन को दूर करती हैं। मां सिद्धिदात्री का पूजन करने से आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। माता के चारों भुजाओं में कमल  चक्र, शंकर व गधा है। माता लोक कल्याण समृद्धि व ज्ञान के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। माता सिद्धिदात्री को नारायणी या शतावरी भी कहा जाता है। शतावरी एक उत्तम औषधि है जो की बुद्धि बल और वीर देती है।

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Conclusion:

दोस्तों नवरात्रि के  9 दिन बहुत ही पवन होते हैं और नवरात्रि के नौ दिनों में हम देवी के नौ स्वरूप देखते हैं हमारी मां और हमारे विचार को शांति पहुंचाने वाला यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। महादेवी के इतने स्वरूप देखकर और उनका पूजन करके हमारे मन और बुद्धि को बहुत ही संतुष्टि प्राप्त होती है।

हमने आपको बताया कि कैसे और किस दिन किस माह की पूजा की जाती है इन नवरात्रि के दिनों में।

FAQ ( Frequently Asked Questions )

माता शैलपुत्री का वाहन क्या है?

माता शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानी बल है।

नवरात्रि के दूसरे दिन किस माता की पूजा की जाती है?

नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है।

किस माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्थ चंद्रमा विराजमान है?

माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्थ चंद्रमा विराजमान है इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।

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